दरअसल, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली, जिसे हम दिवाली कहते हैं, आने वाला है. लेकिन केवल 30% लोग ही जानते हैं कि दिवाली क्यों मनाई जाती है. बाकी 70% बचपन से यही सोचते हैं कि दीवाली का मतलब केवल रोशनी, नमकीन और पटाखे जलाना, लक्ष्मी की पूजा करना, बस इतना ही है. वैसे कोई दिक्कत नहीं…
आज मैं आपको इस पोस्ट में यह बताने की कोशिश करने जा रहा हूं कि दिवाली क्यों मनाई जाती है और दिवाली पर भगवान श्रीराम की जगह महालक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा क्यों की जाती है.
ध्यान से पढ़ें
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है. इस दिन भगवान श्री राम भाई लक्ष्मण और सीतामाता के साथ 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. जब अयोध्या नगरी में यह ज्ञात हुआ कि भगवान श्री राम ने रावण का वध कर दिया है और वे पुनः अयोध्या आयेंगे, तो उस खुशी में अयोध्यावासियों ने दशहरे के दिन से ही अयोध्या को रंगोली और दीपों से सजाया था. दिवाली तब से मनाई जाती है जब दशहरे के दिन रावण की मृत्यु हुई थी और श्री राम 21 दिन बाद उसे लेकर अयोध्या पहुंचे थे. यानि लाखों वर्षों की इस परंपरा को आज भी हिंदू भाई मनाते हैं.
दिवाली 6 दिनों का त्योहार है और हर दिन का अलग-अलग महत्व होता है.
आइए आपको बताते हैं इन 6 दिनों का महत्व.
1:- पहला Diwali दिन धनत्रयोदशी है.
पूर्व मान्यता के अनुसार जब सभी देवताओं ने असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया तो समुद्र से 14 रत्न निकले. इन्हीं में से एक हैं भगवान धन्वंतरि. हमारे पंचांग के अनुसार पितृपक्ष के 13 दिन बाद भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक हैं. उन्होंने पूरी दुनिया को आयुर्वेद से परिचित कराया. तभी से इस दिन को धनतेरस, धनत्रयोदशी का नाम दिया गया और भगवान धन्वंतरि के नाम पर मनाया जाता है.
2:- नरक चतुर्दशी Diwali का दूसरा दिन है.
एक समय इस संसार में भूमिपुत्र नरकासुर का आतंक था, जिसे वरदान था कि वह केवल अपनी माँ के हाथों ही मर सकता था. अगले जन्म में भूमि देवी सत्यभामा के रूप में अवतरित हुईं, सत्यभामा का विवाह भगवान कृष्ण से हुआ. तब सत्यभामा ने नरकासुर का वध कर दिया. तब से आज तक उस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है.
3:- Diwali का तीसरा दिन लक्ष्मी पूजन होता है.
जब देवता और राक्षस समुद्र मंथन कर रहे थे तब माता लक्ष्मी प्रकट हुईं. तब से, उस दिन घर में ढेर सारी सफलता, सुख और धन के लिए माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है. प्राचीन मान्यता के अनुसार महालक्ष्मी की कोई संतान नहीं थी और माता पार्वती के 2 पुत्र थे. लक्ष्मी ने पार्वती के पास श्रीगणेश को गोद लेने की इच्छा व्यक्त की. पार्वती को चिंता थी कि लक्ष्मी कभी एक स्थान पर नहीं टिकतीं. फिर वह गणपति की देखभाल कैसे करेगी. इस पर लक्ष्मी ने कहा कि मैं जहां भी जाऊंगी, गणपति को अपने साथ ले जाऊंगी.तो तब सेजहां लक्ष्मी की पूजा होती है वहां गणपति की भी पूजा होती है. दरअसल दिवाली पर श्री राम अयोध्या आए थे लेकिन इस दिन लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा की जाती है. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार उस समय भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और श्रीराम विष्णु के अवतार हैं. इसलिए श्री राम की पूजा नहीं की जाती.
4:- दोस्तों आश्विन अमावस्या को लक्ष्मी पूजन के बाद बलिप्रतिपदा का दिन Diwali पड़वा के रूप में मनाया जाता है.
साढ़े तीन मुहूर्तों में से एक यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है. अक्षयतृतीया, गुढ़ीपड़वा, विजयादशमी पूर्ण मुहूर्त है और दिवाली पड़वा आधा मुहूर्त है. सोना खरीदने के दिन पति को सुवासिनी लहराई जाती है.ऐसे कई महत्व हैं. इस पड़वा से व्यापारियों का नया साल शुरू होता है.खाते की नई किताब, जिसे खतावनी कहा जाता है, की पूजा करके एक नई शुरुआत की जाती है.कोई भी नई चीज़ खरीदने के लिए यह सबसे अच्छा समय माना जाता है.
5:- गोवर्धन पूजा Diwali का पांचवा दिन है.
रामायण के अनुसार, जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने के लिए पुल बना रहे थे, तब सभी वानर अपनी शक्ति के अनुसार पत्थर इकट्ठा कर रहे थे, तब हनुमानजी ने पुल बनाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था.लेकिन उनके आने से पहले ही पुल का काम हो चुका था. जब वह पुल बनाने में मदद नहीं कर सके तो गोवर्धन पर्वत ने श्री राम से अपना दुख व्यक्त किया. श्री राम ने वचन दिया कि वे अगले जन्म में उस पर्वत का उपयोग अवश्य करेंगे.और हनुमंत से इस पर्वत को वापस अपने स्थान पर रखने को कहा.अगले जन्म में जब भगवान कृष्ण ने अवतार लिया तो उन्होंने गांव के लोगों से गोवर्धन की पूजा करने को कहा.इससे अप्रसन्न होकर इन्द्र ने गोवर्धन पर्वत पर आक्रमण कर दिया. तब श्रीकृष्ण ने लोगों की रक्षा के लिए पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और इंद्र का घमंड तोड़ दिया.
तभी से गोवर्धन की पूजा की जाती है.
6:- Diwali छठा दिन है भाई बहन के लिये
इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उसके घर गये थे.अपनी बहन का आदर-सत्कार देखकर वह बहुत प्रसन्न हुआ. तब यमराज ने यह वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाएगा, उसे संकटों से मुक्ति मिलेगी और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी. तभी से यह दिन भाऊबीज नाम से मनाया जाता है.इस दिन हर बहन अपने भाई की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करती है.
तो दोस्तों दिवाली के ये 6 दिन आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
जय श्रीराम 🚩
सभी को दिवाली की शुभकामनाएँ 🚩
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